उदासी के इस लंबे दौर मे मैने बना लिए हैं, मुस्कुराहटों के कुछ ठिकाने! यूं तो न जाने कितनी कहानियां हैं, इन उदासियों के हिस्से मे, जिसमें एक कहानी तुम्हारी भी तो है……..।अपने जीवन के सबसे खूबसूरत और मीठे शब्द मैने तुम्हारे ही नाम किए थे,पर नहीं जानता था कि उसका मूल्य तुम्हारे लिए दो कौडी भी नहीं रहेगा !तुम्हें पाने का कभी इरादा न था,लेकिन तुम्हें खो देने के डर से मुझसे जो गलतियां हुई और उनका पूर्ण स्वीकार भी मै करता हूं पर,तुम्हारी माफी नहीं पा सका ।जाते-जाते जो शब्दवाण तुमने छोडे उनसे बहुत कुछ मर चुका था मेरे भीतर।पर मैं नहीं जानता कि वह कौन -सी भावना होती है जो तुमसे लगातार मिले अपमान ,तिरस्कार और व्यंग्य वाणों के बावजूद खत्म होने का नाम नहीं लेती।क्यों हमारे बीच भ्रम पैदा करने की कोशिश को सफल होने दिया?
तुम्हें अहसास भी नहीं कि सारी दुनिया की ईष्या से बचने की कवायद मे तुम उससे ही ईष्या कर बैठे ,जिसके होंठो पर सदा तुम्हारे लिए दुआएं बसती है।जानता हूं प्रेम के उच्चतम तल को मैं नहीं छू पाया ,इसलिए ये सारी शिकायतें हैं, ये सारे प्रश्न हैं।पर भी हर रोज तुम याद आती हो और मैं खुद को भूल जाता हूं।शायद तुम सिखा रही हो अपेक्षाओं के पर काटना और मै सीख रहा हूं फिर से प्यार बांटना।लम्हा-लम्हा दर्ज हो रहा है तुम्हारा दिया दर्द मन के किसी कोने मे और शायद एक दिन यही सिखाएगा मुझे सही मायने मे ‘प्रेम’ ।