गुरू कृपा ही केवलम्🌷”भाग्य”आप चाहें तो सारी वस्तुओं की तुलना किसी से कर सकते हैं, मगर भूल कर भी अपने भाग्य की कभी भी किसी से तुलना मत कीजिए ।कुछ लोगों द्वारा अपनी भाग्य की तुलना दूसरों से कर व्यर्थ तनाव मोल लेते हैं और भगवान को ही सुझाव देते हैं कि उसे ऐसा नहीं ऐसा करना चाहिए था।परमात्मा से कभी शिकायत मत कीजिए।हम इतने समझदार नहीं हुए हैं कि परमात्मा के इरादे समझ सकें ।यदि उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत कीजिए, क्यूंकि शायद वे पहले से कुछ बेहतर उसमें डालना चाहते हो।यदि आपके पास समय हो तो उसे दूसरों के भाग्य को सराहने मे न लगाकर स्वयं के भाग्य सुधारने में लगाइए।परमात्मा भाग्य का चित्र बनाता है, मगर उसमें कर्म रूपी रंग तो खुद ही भरने पडते हैं।जिस प्रकार एक डाक्टर/वैद्य द्वारा दो अलग अलग रोग के रोगियों को अलग अलग दवा दी जाती है ,किसी को मीठी तो किसी को अत्यधिक कडवी ।लेकिन, दोनों के साथ भिन्न भिन्न व्यवहार किये जाने के बावजूद भी उसका उद्देश्य एक ही होता है, रोगी को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना ।ठीक इसी प्रकार उस ईश्वर द्वारा भी भले ही दिखने में भिन्न भिन्न लोगों के साथ भिन्न भिन्न व्यवहार नजर आये मगर उसका भी केवल एक उद्देश्य होता है और वह है, कैसे भी हो मगर उस जीव का कल्याण करना।ईश्वर ने सुदामा को अकिंचन ,बालि को सम्राट, शुकदेव जी को परम ज्ञानी, विदुर जी को प्रेमी, पांडवो को मित्र एवं कौरवों को शत्रु बनाकर तार दिया।स्मरण रहे कि भगवान केवल क्रिया से भेद करते हैं, भाव से नहीं।हमारे पूज्य गुरुदेव के सौजन्य से🙏