गुरू कृपा ही केवलम्🌷
“शांति”
शांति के आगे साम्राज्य का कोई मोल नहीं है।जिसके पास शांति है किन्तु, साम्राज्य नहीं है वह अमीर है ।मगर जिसके पास साम्राज्य तो है किन्तु, शांति नहीं है वह निश्चित ही गरीब ही है।यह इस जीवन की एक बडी विडंबना है कि कभी कभी यहाँ साम्राज्य मिल जाता है ,मगर शांति नहीं मिल पाती और कभी कभी इसके ठीक विपरीत साम्राज्य तो नहीं मिल पाता, हाँ शान्ति जरूर प्राप्त हो जाती है ।
बाहर से हारकर भी जिसने स्वयं को जीत लिया वह सम्राट है।मगर दुनिया जीतकर भी स्वयं से हार गया, सच समझना वो कभी भी सम्राट नहीं हो सकता ।सम्राट को शांति मिले यह आवश्यक नहीं पर जिसे शांति प्राप्त हो गई वह सम्राट अवश्य है।साम्राज्य जीवन की उपलब्धि नहीं, शांति जीवन की उपलब्धि है, चाहे वह धनवान बनने से मिले या धर्मवान बनने से ।वैसे शांति सामान्यतया केवल धर्म के आश्रय से ही मिलती है ।
हमारे पूज्य गुरुदेव के सौजन्य से🙏