हमारे पूज्य गुरुदेव के सौजन्य से🙏

गुरू कृपा ही केवलम्🌷
“मित्र”
मित्र वह है जो आपको आपकी गलतियों और कमजोरियों का बार बार स्मरण कराती है ,ऐसा व्यक्ति किंचित आपका शत्रु नहीं हो सकता।अपितु, वह आपका शत्रु जरूर है जो आपके गलत दिशा में बढते हुए कदम को देखकर भी मुस्कुराता रहे और आपको रोकने का प्रयास न करे ।
विरोध करने वाला शत्रु नहीं, बल्कि गलत कार्यों का विरोध ना करनेवाला ही परम् शत्रु होता है ।आज अपने और पराये की परिभाषा थोडी बदल सी गई है ।लोग सोचते हैं कि स्वजन-प्रियजन वही है ,जो हर स्थिति में आपका साथ दे ,लेकिन वास्तव में प्रियजन वही है जो अप्रिय कर्म अथवा कुकर्म से सदैव आपको बचाने का प्रयास करते रहे।
दुर्योधन ने चाचा विदुर की बात मान ली होती तो महाभारत ना होता ।रावण ने विभिषण की बात मानी होती तो लंका विध्वंस ना होता ।
वास्तव में सच्चा मित्र वही है जो हमारी मति सुधार दे ।जीवन को श्रेष्ठ गति देते हुए गोविंद के चरणों में रति प्रदान कर दे।
हमारे पूज्य गुरुदेव के सौजन्य से।🙏

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