हमारे पूज्य गुरुदेव के सौजन्य से।🙏🌹🙏
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
जैसे प्रभु हमें दिखाई नहीं देते, ठीक वैसे ही जो हम “प्रभुनाम “लेते हैं…. उसका प्रभाव हमें दिखाई नहीं देता… बल्कि समय आने पर महसूस जरूर होता है,
” प्रभुनाम”लेने से हमारी “अंतरात्मा”की सुरक्षा होती है… जिसे इस कलियुग के किसी भी तरह का कोई पाप हमारी..
“अंतरात्मा” को छू नहीं सकते,
और हम बुरे कर्मों से बच जाते हैं,
भवसागर यात्रा निश्कलंक पूर्ण करने के लिए जब भी,जहाँ भी, जैसे भी स्थिति में “प्रभुनाम” ले सकते हैं। पतझड़ होता है तो सभी वृक्षों पर हरी कोपलें फूटती हैं और सूर्यास्त होता है तो तभी अंधकार के बाद एक नया सबेरा भी जन्म लेता है।पतझड़ होता है ताकि हरियाली छा सके एवं अंधकार होता है ताकि अरूणोदय की लालिमा का आनंद हम सबको प्राप्त हो सके।जीवन भी कुछ इस तरह का ही है।यहाँ विसर्जन के साथ ही सृजन जुडा हुआ है । हमारे दुखों का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हम जीवन को केवल एक दृष्टि से तो देखते हैं । हम जीवन को सूर्यास्त की दृष्टि से तो देखते हैं पर सूर्योदय की दृष्टि से नहीं देख पाते।परमात्मा से शिकायत मत कीजिए क्योंकि वो हमसे बेहतर इस बात को जानते हैं कि हमारे लिए क्या अच्छा हो सकता है। उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत कीजिए क्योंकि वे पहले से कुछ बेहतर उसमें डालना चाहते हों।सुख और दुख जीवन रूपी रथ के दो पहिये हैं।सुख के बिना दुख का कोई अस्तित्व नहीं तो दुख के बिना सुख का भी कोई महत्व नहीं।इसलिए दुख आने पर धैर्य के साथ प्रभुनाम का आश्रय लेकर इस विश्वास के साथ प्रतीक्षा कीजिए कि प्रकाश भी नहीं टिका तो भला अंधकार कैसे टिक सकता है? 🙏🙏😊🙏🙏